रुला देने वाली कहानी- तुम्हारा दिल

February 21, 2025
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वे दोनों पति-पत्नी थे। एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। हालांकि उनकी शादी हुए 25 साल बीत चुके थे, ले‍किन उनके बीच में प्रेम का दरिया अब भी प्रवाहमान था।

एक बार पति बीमार हो गया। काफी दिनों तक उसका इलाज चला। किसी तरह से उसकी जान बची। लेकिन इस बीमारी ने उसकाे बेहद कमजोर बना दिया। उसका मन निराशा से भर उठा और वह हमेशा दु:खी रहने लगा।

लेकिन वहां पहुंच कर भी पति की मानसिक दशा न बदली। वह हर समय गुमसुम सा बैठा रहता और न जाने क्या-क्या सोचता रहता। यह देखकर एक दिन उसकी पत्नी ने इसे विषय पर बात करने की ठानी। उसने अपने पति की आंखों में आंखे डालते हुए पूछा, ”क्या बात है जानू, तुम अपनी पसंदीदा जगह पर आकर भी उदास हो?”

पति ने एक लम्बी सी उबासी ली और धीरे से बोला, ”बात ही उदासी वाली है। मेरी बीमारी ने मुझे कितना कमजाेर कर दिया है, मेरा आपरेशन हुआ, जिसमें एक लाख रूपये खर्च हो गये। मेरा गॉल ब्लाडर निकाल दिया गया। इस बीमारी की वजह से मेरी नौकरी चली गयी। और तो और इसी साल मेरे बेटे का एक्सीडेंट हो गया, जिसमें उसके दाएं पैर की हड्डी टूट गयी और इसी साल मेरे पिता का देहांत भी हो गया। एक साथ इतने सारे पहाड़ मुझ पर टूट पड़े। अब तुम्हीं बताओ, इतने सारे दु:खों को झेलने के बाद मैं कैेसे मुस्करा सकता हूं?”

पत्नी कुछ नहीं बोली। जैसे कुछ सोच रही हो। फिर उसने एक गहरी सी सांस ली और बोली, ”तुम्हें उस गॉल ब्लॉडर की पथरी के कारण कितना दर्द होता था। आॅपरेशन की वजह से तुम्हें उस जानलेवा दर्द से मुक्ित मिल गयी।”

पति अवश सा हो गया। उसे कुछ सूझा ही नहीं कि अपनी पत्नी को क्या जवाब दे। इसलिए उसने बात को घुमा दिया, ”ले‍किन हमारे पिताजी, उनका आकस्िमक निधन, और हमारे बेटा का वह इतना बड़ा एक्सीडेंट?”

पत्नी इसके लिये पहले से ही तैयार थी। वह धीरे से बोली, ”पिताजी के निधन का मुझे भी दु:ख है। उनके जाने से अब हम लोग उनके आशीर्वाद से महरूम हो गये। लेकिन ये भी तो सोचो कि उन्होंने अपना पूरा जीवन शान से जिया। कभी किसी पर आश्रित नहीं हुए। ऐसे में अगर वे अपनी शरीर की अशक्तता के कारण दूसरों की दया पर जीने के लिए विवश हो जाते, तो उन्हें कितना बुरा लगता। वे जीवन में सक्रिय रहते हुए अपनी उम्र पूरी करके इस दुनिया से विदा हुए, क्या यह हमारे लिए संतोष का विषय नहीं।”

पत्नी की सकारात्मक बातें सुनकर पति की सोच एकदम से बदल गयी। उसके भीतर जमा हुआ निराशा का अंधकार एक पल में छंट गया और मन में उत्साह की लहरें ठाठें मारने लगीं।

तभी समुद्र की एक बड़ी सी लहर आयी और उन दोनों को भि‍गो गयी। समुद्र की लहर ने पति पर जैसे जादू सा कर दिया। वह जैसे फिर से अपनी जवानी के दिनों में जा पहुंचा। उसने जोश में आकर अपनी पत्नी को बाहों में उठाया और तेजी से समुद्र की ओर दौड़ पड़ा।

तो मित्रो, यह है सकारात्मक सोच का जादू, जो जीवन को इस तरह से बदल कर रख देती है कि सहसा यकीन करना मुश्किल हो जाता है। आप भी सकारात्मक सोच अपनायें

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