🌟 किडनी फेल होने के प्रमुख कारण
भूमिका (Introduction)
किडनी हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, जो रक्त को साफ करने, विषाक्त पदार्थों को निकालने, पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखने जैसे कार्य करती है। जब किडनी अपना कार्य करना बंद कर देती है या कार्यक्षमता काफी कम हो जाती है, तो इस स्थिति को “किडनी फेल्योर” कहा जाता है।
आज हम विस्तार से जानेंगे कि किडनी फेल क्यों होती है और किन कारणों से इस गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
किडनी फेल होने के प्रमुख कारण
1. डायबीटीज़ (Diabetes)
डायबीटीज़ को किडनी फेल्योर का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है।
जब रक्त में ग्लूकोज (शुगर) का स्तर लगातार अधिक रहता है, तो यह किडनी की रक्त नलिकाओं (blood vessels) को नुकसान पहुंचाता है।
समय के साथ यह नुकसान किडनी के फिल्टरिंग सिस्टम (glomeruli) को प्रभावित करता है, जिससे किडनी ठीक से रक्त साफ नहीं कर पाती और विषैले पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं।
कैसे होता है नुकसान?
- हाई ब्लड शुगर के कारण छोटे रक्त वाहिकाएं (capillaries) मोटी और सख्त हो जाती हैं।
- किडनी के नेफ्रॉन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
- प्रोटीन लीक होने लगता है (Proteinuria)।
- धीरे-धीरे किडनी फेल्योर की स्थिति बन जाती है।
सावधानी:
- ब्लड शुगर कंट्रोल करें।
- नियमित HbA1c टेस्ट कराएं।
- डायबेटिक डाइट फॉलो करें।
2. उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) भी किडनी फेल्योर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
जब रक्तचाप अधिक रहता है, तो रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे किडनी को रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है।
किडनी पर प्रभाव:
- उच्च दबाव से किडनी की आंतरिक धमनियां क्षतिग्रस्त होती हैं।
- रक्त का पर्याप्त प्रवाह नहीं हो पाता।
- टिश्यूज मरने लगते हैं और किडनी कमजोर हो जाती है।
सावधानी:
- नमक का सेवन कम करें।
- नियमित ब्लड प्रेशर जांच कराएं।
- डॉक्टर के अनुसार दवाइयाँ लें।

3. किडनी की जैवाणु संक्रमण या संक्रमण (यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन)
यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) आमतौर पर हल्की समस्या लगती है, लेकिन अगर यह बार-बार होता है या सही समय पर इलाज न हो, तो यह किडनी तक फैल सकता है और उसे स्थायी नुकसान पहुँचा सकता है।
संक्रमण का प्रभाव:
- बैक्टीरिया किडनी तक पहुँचते हैं।
- किडनी के ऊतक सूज जाते हैं (Pyelonephritis)।
- फिल्टरिंग यूनिट्स को नुकसान होता है।
लक्षण:
- पेशाब में जलन
- बार-बार पेशाब आना
- पेशाब में बदबू या खून आना
- बुखार और पीठ दर्द
सावधानी:
- पर्याप्त पानी पिएं।
- संक्रमण के लक्षणों को नजरअंदाज न करें।
- एंटीबायोटिक कोर्स पूरा करें।

4. पथरी और मूत्र की रुकावट
किडनी में पथरी (Kidney Stone) या मूत्र मार्ग में कोई रुकावट भी किडनी फेल्योर का कारण बन सकती है।
जब मूत्र पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाता, तो किडनी पर दबाव बढ़ता है और उसका कार्य प्रभावित होता है।
कैसे होता है नुकसान:
- पेशाब में रुकावट से बैकप्रेशर बनता है।
- किडनी में सूजन (Hydronephrosis) हो जाती है।
- टिश्यू डैमेज होता है।
- लंबे समय तक दबाव से किडनी फेल हो सकती है।
लक्षण:
- तेज पीठ दर्द
- पेशाब में रुकावट
- पेशाब में खून
- बुखार
सावधानी:
- पर्याप्त पानी पिएं।
- कैल्शियम और ऑक्सलेट युक्त भोजन का संतुलन रखें।
- समय रहते पथरी का इलाज कराएं।
5. जेनेटिक बीमारी (Polycystic Kidney Disease – PKD)
Polycystic Kidney Disease (PKD) एक आनुवांशिक (genetic) बीमारी है, जिसमें किडनी में कई सिस्ट (fluid-filled sacs) बन जाते हैं।
ये सिस्ट धीरे-धीरे किडनी को बड़ा कर देते हैं और उसके कार्य करने की क्षमता को कम कर देते हैं।
बीमारी का प्रभाव:
- सिस्ट बढ़ने से स्वस्थ टिश्यू नष्ट होता है।
- रक्तचाप बढ़ जाता है।
- किडनी फेल्योर का जोखिम बढ़ता है।
लक्षण:
- पीठ या साइड में दर्द
- उच्च रक्तचाप
- बार-बार मूत्र संक्रमण
- पेशाब में खून
सावधानी:
- फैमिली हिस्ट्री के आधार पर जांच कराएं।
- नियमित रूप से सोनोग्राफी कराएं।
- डॉक्टर की सलाह पर जीवनशैली में बदलाव करें।

6. ज्यादा दवाओं का अत्यधिक उपयोग
कुछ दवाइयाँ विशेष रूप से दर्द निवारक (Painkillers), एंटीबायोटिक्स, और कुछ ब्लड प्रेशर की दवाएं किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
अगर इनका अधिक समय तक या गलत तरीके से सेवन किया जाए तो किडनी को नुकसान पहुँच सकता है।
कैसे दवाइयाँ नुकसान पहुंचाती हैं:
- NSAIDs जैसे पेनकिलर किडनी के रक्त प्रवाह को कम करते हैं।
- कुछ एंटीबायोटिक्स किडनी के टिश्यूज को प्रभावित कर सकते हैं।
- हार्ड दवाइयों से नेफ्रोटॉक्सिसिटी होती है।
सावधानी:
- डॉक्टर की सलाह से ही दवाएं लें।
- पेनकिलर का नियमित सेवन न करें।
- प्राकृतिक उपचार को प्राथमिकता दें जहाँ संभव हो।
किडनी फेल्योर से बचने के उपाय
✅ ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।
✅ स्वस्थ आहार का पालन करें: कम नमक, कम प्रोटीन।
✅ नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
✅ खूब पानी पिएं।
✅ धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं।
✅ बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयों का सेवन न करें।
✅ समय-समय पर किडनी फंक्शन टेस्ट कराएं।
✅ वजन नियंत्रित रखें।
निष्कर्ष (Conclusion)
किडनी फेल्योर एक गंभीर स्थिति है लेकिन समय पर सावधानी और सही जीवनशैली अपनाकर इससे बचा जा सकता है।
डायबीटीज़, उच्च रक्तचाप, संक्रमण, पथरी, आनुवांशिक बीमारी और दवाइयों का अत्यधिक उपयोग — ये सभी किडनी को नुकसान पहुँचाने के प्रमुख कारण हैं।
स्वस्थ जीवनशैली, नियमित जांच और सतर्कता से हम अपनी किडनी को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं।
PART -2
किडनी फेल होने के प्रमुख कारण हैं
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, और मूत्र मार्ग में रुकावट. मधुमेह के कारण उच्च रक्त शर्करा का स्तर किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि उच्च रक्तचाप से गुर्दे की रक्त वाहिकाएं कमजोर हो सकती हैं. ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस में, गुर्दे की फिल्टरिंग इकाइयों में सूजन आ जाती है, जिससे किडनी की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है. पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में, गुर्दे में तरल पदार्थ से भरे थैले विकसित होते हैं. मूत्र मार्ग में रुकावट, जैसे कि गुर्दे की पथरी, ट्यूमर, या प्रोस्टेट के बढ़ने से मूत्र प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है और किडनी को नुकसान हो सकता है.
विस्तार से:
- मधुमेह:अनियंत्रित मधुमेह से उच्च रक्त शर्करा स्तर (हाइपरग्लाइसेमिया) होता है, जो गुर्दे की फ़िल्टरिंग इकाइयों को नुकसान पहुंचा सकता है.
- उच्च रक्तचाप:उच्च रक्तचाप से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे गुर्दे तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और गुर्दे की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है.
- ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस:यह एक प्रकार की गुर्दे की सूजन है जो ग्लोमेरुली को प्रभावित करती है, जो किडनी की फ़िल्टरिंग इकाइयाँ हैं.
- पॉलीसिस्टिक किडनी रोग:यह एक आनुवंशिक विकार है जिसमें गुर्दे में सिस्ट या थैले विकसित होते हैं, जिससे किडनी की कार्यप्रणाली में बाधा आती है.
- मूत्र मार्ग में रुकावट:यह गुर्दे से मूत्र के निर्वहन में रुकावट पैदा करता है, जिससे किडनी को नुकसान हो सकता है.
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