भारत में यह समस्या बहुत आम हो गई है, और हर वर्ष लाखों लोग किडनी स्टोन की वजह से अस्पतालों का रुख करते हैं। लेकिन आधुनिक जीवनशैली की वजह से दवाइयों और सर्जरी के बजाय अब लोग फिर से आयुर्वेद की ओर लौट रहे हैं।
🔷 किडनी स्टोन क्या है?
किडनी स्टोन (गुर्दे की पथरी) तब बनते हैं जब मूत्र में मौजूद खनिज (minerals) और लवण (salts) एक साथ मिलकर छोटे-छोटे ठोस कण (क्रिस्टल्स) का निर्माण करते हैं, जो धीरे-धीरे आकार में बढ़कर स्टोन का रूप ले लेते हैं। ये पत्थर मूत्रनली (urinary tract) में फंस सकते हैं और अत्यधिक दर्द, पेशाब में जलन, और खून जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।

🔷🌿 आयुर्वेद क्या कहता है किडनी स्टोन के बारे में?
🪷 आयुर्वेद क्या कहता है किडनी स्टोन (अश्मरी) के बारे में?
🔷 “अश्मरी” – आयुर्वेद में किडनी स्टोन की परिभाषा
आयुर्वेद में किडनी स्टोन को “अश्मरी” कहा गया है। यह शब्द दो भागों से मिलकर बना है –
- “अश्म” का अर्थ होता है पत्थर
- और “अरी” का अर्थ होता है शत्रु
अर्थात् यह वह रोग है जो शरीर के भीतर पत्थर जैसा शत्रु बनकर कष्ट देता है।
आयुर्वेद में अश्मरी को महाव्याधियों (जटिल बीमारियों) में गिना गया है, क्योंकि इससे अत्यधिक दर्द और मूत्र से संबंधित विकार होते हैं।
🔷 दोषों का असंतुलन – रोग की जड़
आयुर्वेद का मानना है कि हमारे शरीर में तीन मूलभूत शक्तियाँ (दोष) होती हैं –
- वात (Air)
- पित्त (Fire)
- कफ (Water + Earth)
इन तीनों में सामंजस्य ही स्वास्थ्य है। लेकिन जब ये दोष असंतुलित हो जाते हैं, तो रोग उत्पन्न होता है।
किडनी स्टोन (अश्मरी) में विशेष रूप से पित्त दोष का असंतुलन प्रमुख कारण माना गया है, साथ ही कफ और वात का सहयोग भी रोग को बढ़ाता है।
🔶 पित्त दोष का असंतुलन क्यों होता है?
पित्त दोष शरीर में गर्मी, पाचन और हार्मोन को नियंत्रित करता है। जब यह असंतुलन में आता है, तो शरीर में अधिक गर्मी उत्पन्न होती है जिससे मूत्र में रासायनिक परिवर्तन होते हैं।
इसके प्रमुख कारण:
- तीखा, मसालेदार व खट्टा भोजन
- अधिक चाय, कॉफी, मांसाहार और तला-भुना खाना
- गर्मी में अधिक देर तक धूप में रहना
- क्रोध, तनाव और गुस्से की आदत
- देर रात तक जागना और नींद की कमी
इन कारणों से पित्त दोष बढ़कर मूत्र में मौजूद लवणों को जमाकर क्रिस्टल (पत्थर) बना देता है।
🔶 कफ दोष का सहयोग
कफ दोष शरीर में चिकनाई और स्थिरता को नियंत्रित करता है। जब यह दोष अधिक हो जाता है, तो वह मूत्रमार्ग में चिपचिपाहट पैदा करता है, जिससे क्रिस्टल बाहर नहीं निकल पाते और धीरे-धीरे जमकर पत्थर बनते हैं।
कफ दोष को बढ़ाने वाले तत्व:
- दूध, पनीर, मिठाई, अधिक ठंडा पानी
- अधिक आरामदायक जीवनशैली
- सुबह देर तक सोना
- भारी और देर रात का भोजन
🔶 वात दोष का प्रभाव
वात दोष मूत्रमार्ग के संकुचन-प्रसार को नियंत्रित करता है। जब यह असंतुलित होता है, तो मूत्रत्याग में रुकावट और दर्द होता है।
अक्सर पथरी नीचे खिसकते समय जो तीव्र पीड़ा होती है, वह वात दोष के कारण होती है।
🔷 आयुर्वेद के अनुसार – पत्थरी के बनने की प्रक्रिया
- मूत्र में दोषों का संचय होता है – विशेषकर पित्त और कफ।
- मूत्र अधिक गाढ़ा और अम्लीय हो जाता है।
- यह अम्लीयता मूत्रमार्ग की दीवारों पर खनिजों को जमा करने लगती है।
- धीरे-धीरे यह जमा हुआ खनिज “क्रिस्टल” में बदल जाता है।
- समय के साथ ये क्रिस्टल आकार में बढ़ते जाते हैं और “अश्मरी” (पत्थरी) बनाते हैं।
🔷 अनियमित जीवनशैली से कैसे बनती है पथरी?
कारण | दोष असंतुलन | परिणाम |
---|---|---|
कम पानी पीना | पित्त-कफ | मूत्र गाढ़ा होना |
मसालेदार भोजन | पित्त | मूत्र अम्लीय होना |
देर रात खाना व जागना | पित्त-वात | विषाक्तता बढ़ना |
अत्यधिक बैठना | कफ | स्थिरता और चिपचिपापन |
गलत आहार संयोजन | सभी दोष | अपचन और विष |
******************************************************************************************************************************************************************************************************************************************************
🪷 प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ व औषधियाँ जो किडनी स्टोन को गलाने में मदद करती हैं
🔶 भूमिका
आयुर्वेद में कहा गया है:
“न हि रसायनात् श्रेष्ठं किञ्चिदस्ति पृथिव्यां वै”
अर्थात् – पृथ्वी पर रसायन (औषधि) से बढ़कर कुछ नहीं।
किडनी स्टोन (अश्मरी) के लिए भी आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियाँ और औषधियाँ बताई गई हैं जो प्राकृतिक रूप से पथरी को तोड़ने, गलाने, बाहर निकालने और पुनः बनने से रोकने में मदद करती हैं।
🌿 1. वरुण (Crataeva nurvala)
- 📌 उपयोग: यह पथरी को तोड़ने वाली सबसे प्रभावी औषधि मानी जाती है।
- ✅ गुण: मूत्रवर्धक (Diuretic), पथरी-नाशक (Lithotriptic), एंटीइन्फ्लेमेटरी।
- 📜 उपयोग विधि: वरुण की छाल का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पीना चाहिए।
👉 यह गुर्दे की कार्यक्षमता को भी सुधारता है।
🌿 2. गोखरू (Tribulus terrestris)
- 📌 उपयोग: मूत्र मार्ग की सूजन व जलन को कम करता है।
- ✅ गुण: वात-पित्त शामक, मूत्रनलियों को शिथिल करता है जिससे पथरी बाहर निकल सके।
- 📜 उपयोग विधि: गोखरू चूर्ण (3-5 ग्राम) शहद या पानी के साथ दिन में दो बार।
👉 यह बार-बार पेशाब आने की समस्या को भी दूर करता है।
🌿 3. पाषाणभेद (Bergenia ligulata)
- 📌 नाम में ही रहस्य: “पाषाण” = पत्थर, “भेद” = तोड़ना
- ✅ गुण: यह जड़ीबूटी विशेष रूप से पथरी को गलाने और टुकड़ों में तोड़कर बाहर निकालने में सहायक है।
- 📜 उपयोग विधि: इसकी जड़ का चूर्ण या अर्क सेवन किया जाता है।
👉 यह मूत्राशय की सूजन को भी ठीक करता है।
🌿 4. कुशा / दुर्वा (Cynodon dactylon)
- 📌 लोकप्रिय नाम: दूब घास
- ✅ गुण: ठंडी, कफ-पित्त शामक, रक्त शोधक, मूत्रवर्धक।
- 📜 उपयोग विधि: दूब घास का रस सुबह खाली पेट लेना लाभकारी है।
👉 यह पेशाब में जलन, दर्द और पत्थरी के लक्षणों को कम करता है।
🌿 5. पत्थरचट्टा (Bryophyllum pinnatum)
- 📌 नाम ही इलाज: “पत्थर” + “चट्टा” (तोड़ने वाला)
- ✅ गुण: अत्यंत प्रभावशाली पथरी नाशक औषधि।
- 📜 उपयोग विधि: इसके पत्तों का रस (10-15ml) रोज सुबह खाली पेट लें।
👉 यह पथरी को धीरे-धीरे गलाकर मूत्र मार्ग से बाहर निकाल देता है।
🌿 6. तुलसी (Ocimum sanctum)
- ✅ गुण: एंटीऑक्सीडेंट, पित्त-संतुलक, मूत्र साफ करने वाला।
- 📜 उपयोग विधि: तुलसी के पत्तों का रस 5-7 ml + शहद के साथ रोज सुबह सेवन करें।
👉 यह मूत्र की अम्लता को घटाकर क्रिस्टल बनने से रोकता है।

🌿 7. ककड़ी के बीज (Cucumber Seeds)
- ✅ गुण: ठंडे, मूत्रवर्धक, शरीर को डीटॉक्स करते हैं।
- 📜 उपयोग विधि: बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें और 1-2 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लें।
👉 यह प्राकृतिक रूप से किडनी को साफ करता है।
🌿 8. एलोवेरा (Ghritkumari)
- ✅ गुण: कफ-पित्त शामक, मूत्र पथ को चिकना करता है।
- 📜 उपयोग विधि: एलोवेरा रस 10-20 ml रोज सेवन करें।
👉 यह स्टोन के साथ-साथ मूत्र मार्ग की सूजन में भी लाभकारी है।
🌿 9. नींबू का रस + जैतून तेल (Home Remedy)
- ✅ गुण: यूरिक एसिड की पथरी में विशेष लाभ।
- 📜 उपयोग विधि: 2 चम्मच नींबू का रस + 2 चम्मच जैतून तेल + गुनगुना पानी = दिन में 1 बार।
👉 यह मिश्रण पथरी को चिकनाई देकर मूत्र मार्ग से बाहर निकालने में सहायक है।
🧪 कुछ प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवाइयाँ (Ready-made Formulations)
दवा का नाम | निर्माता | उपयोग |
---|---|---|
अश्मरीहर क्वाथ | पतंजलि, बैद्यनाथ | पथरी को गलाने में सहायक |
चंद्रप्रभा वटी | बैद्यनाथ, डाबर | मूत्र विकार और स्टोन दोनों में लाभ |
वरुणादि क्वाथ | आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा प्रयुक्त | मूत्र पथ की शुद्धि |
हिमालय सिस्टोन टैबलेट | हिमालया | वैज्ञानिक अध्ययन से प्रमाणित |
📝 ध्यान रखने योग्य बातें:
- कोई भी जड़ी-बूटी प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदाचार्य से परामर्श लें।
- ज्यादा मात्रा में सेवन करना हानिकारक हो सकता है।
- किसी भी औषधि का सेवन करते समय पानी की मात्रा अधिक रखें।
- यदि स्टोन बहुत बड़ा हो (>10 mm), तो डॉक्टर से इलाज जरूरी है।
********************************************************************************************************************************************************************
🔷 किडनी स्टोन आयुर्वेदिक इलाज क्यों बेहतर है?
आयुर्वेद में जड़ से इलाज पर ज़ोर दिया जाता है। इसके लाभ हैं:
- प्राकृतिक उपचार: कोई साइड इफेक्ट नहीं।
- लक्षणों का नहीं, कारणों का इलाज।
- रोग की पुनरावृत्ति से सुरक्षा।
- जीवनशैली का सुधार।
🔷 किडनी स्टोन आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से इलाज के 5 मुख्य स्तंभ
- शोधन चिकित्सा (Panchakarma): शरीर से विषैले तत्व निकालना।
- औषधीय जड़ी-बूटियाँ: जैसे पत्थरचट्टा, गोखरू आदि।
- सात्त्विक आहार: संतुलित और पथरी विरोधी भोजन।
- योग और प्राणायाम: शरीर और मन को संतुलित रखना।
- जीवनशैली में सुधार: दिनचर्या, नींद, तनाव प्रबंधन।
********************************************************************************************************************************************************************
https://pharmeasy.in/blog/best-foods-to-eat-and-avoid-with-kidney-stones/
https://pram123.com/किडनी-स्टोन-हटाने-के-घरेल/
********************************************************************************************************************************************************************