धनबाद जिला, झारखंड (भारत) – विस्तृत लेख
धनबाद जिला, झारखंड (भारत) – विस्तृत लेख
परिचय
भारत के झारखंड राज्य का धनबाद जिला देश भर में अपनी कोयला खदानों के लिए प्रसिद्ध है। इसे ‘भारत की कोयला राजधानी’ (Coal Capital of India) कहा जाता है। धनबाद न केवल झारखंड राज्य का महत्वपूर्ण औद्योगिक और आर्थिक केंद्र है, बल्कि यह देश की ऊर्जा जरूरतों में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। यहाँ विशाल कोयला भंडार, बड़ी-बड़ी खदानें, रेलवे नेटवर्क, शैक्षणिक संस्थान और सांस्कृतिक विविधता इसे खास बनाती है।
भौगोलिक स्थिति और सीमाएँ
धनबाद जिला झारखंड के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। इसकी सीमाएँ उत्तर में गिरिडीह और जामताड़ा, पूर्व में पश्चिम बंगाल के बर्धमान और पुरुलिया जिले, दक्षिण में बोकारो और पश्चिम में गिरिडीह जिले से मिलती हैं। जिले का कुल क्षेत्रफल लगभग 2040 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ की भूमि ऊबड़-खाबड़ है और अधिकांश क्षेत्र पठारी है। यह छोटानागपुर के पठार क्षेत्र में आता है।
इतिहास
धनबाद जिले का इतिहास काफी समृद्ध और विविधतापूर्ण है। पहले यह क्षेत्र मगध साम्राज्य के अंतर्गत आता था और बाद में मौर्य वंश के अधीन रहा। मुगलों के समय यह इलाका जंगलों और पहाड़ियों से घिरा एक पिछड़ा इलाका माना जाता था। ब्रिटिश काल में जब कोयला खनन शुरू हुआ, तब धनबाद का महत्व तेजी से बढ़ने लगा। ब्रिटिश सरकार ने यहाँ कोयला निकालने की शुरुआत की और धीरे-धीरे यह क्षेत्र औद्योगिक हब बन गया।
1947 में देश की आज़ादी के बाद धनबाद क्षेत्र में खनन गतिविधियाँ और तेज़ी से बढ़ीं। पहले यह जिला मानभूम जिले का हिस्सा था लेकिन 24 अक्टूबर 1956 को इसे अलग जिला घोषित किया गया। 2000 में झारखंड राज्य बनने के बाद यह जिला झारखंड में शामिल हुआ।

प्रमुख उद्योग और आर्थिक स्थिति
धनबाद की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कोयला उद्योग पर आधारित है। यहाँ भारत की सबसे बड़ी कोल कंपनियों में से एक – ‘भारतीय कोकिंग कोल लिमिटेड’ (BCCL) का मुख्यालय है। BCCL कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की एक सहायक कंपनी है। धनबाद जिले में करीब 112 खदानें हैं, जिनमें भूमिगत और ओपन कास्ट दोनों खदानें शामिल हैं।

कोयला उद्योग के अलावा यहाँ स्टील, आयरन, सीमेंट और अन्य लघु उद्योग भी हैं। झारखंड विद्युत बोर्ड का भी यहाँ बड़ा योगदान है। धनबाद में पावर प्लांट्स भी हैं, जिनसे झारखंड सहित कई राज्यों को बिजली आपूर्ति होती है।
धनबाद रेलवे का एक बड़ा केंद्र है। यहाँ से भारी मात्रा में कोयले की आपूर्ति देश के विभिन्न हिस्सों में की जाती है। रांची, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों से सीधा रेलवे संपर्क है। इससे यह जिला व्यापार और उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है।
प्राकृतिक संसाधन और जलवायु
धनबाद का सबसे बड़ा प्राकृतिक संसाधन कोयला है। यहाँ झरिया, सिंदरी, मुगमा, कतरास, लोदना जैसे इलाके कोयले के भंडार से भरे हुए हैं। झरिया कोलफील्ड भारत का सबसे बड़ा कोकिंग कोल क्षेत्र है।
धनबाद का मौसम उष्णकटिबंधीय है। गर्मियों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है जबकि सर्दियों में तापमान 10 डिग्री तक गिर जाता है। वर्षा मुख्य रूप से मानसून के दौरान होती है और औसतन 1200 मिमी बारिश होती है।
कृषि और जनजीवन
हालाँकि धनबाद औद्योगिक जिला है, लेकिन यहाँ कृषि भी होती है। यहाँ की प्रमुख फसलें धान, गेहूं, मक्का, अरहर, सरसों और दलहन हैं। सिंचाई की कमी और उबड़-खाबड़ भूमि के कारण कृषि उत्पादन बहुत ज्यादा नहीं है।
धनबाद में शहरी और ग्रामीण जनजीवन दोनों देखने को मिलता है। शहर में कोयला खदानों के इर्द-गिर्द बड़ी संख्या में लोग बसे हैं। यहाँ बंगाली, बिहारी, झारखंडी, आदिवासी और दक्षिण भारतीय समुदायों की अच्छी खासी आबादी है, जो इसे एक बहुसांस्कृतिक शहर बनाती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ
धनबाद शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी विकसित है। यहाँ देश का प्रसिद्ध संस्थान ‘भारतीय खनि विद्यापीठ’ (Indian School of Mines – ISM) स्थित है, जो अब IIT (ISM) धनबाद के नाम से जाना जाता है। यह संस्थान खनन, भू-विज्ञान और इंजीनियरिंग शिक्षा में देश में अग्रणी है।
इसके अलावा धनबाद में कई कॉलेज, स्कूल और निजी शिक्षण संस्थान हैं, जो इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट और सामान्य शिक्षा प्रदान करते हैं। यहाँ के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में SSLNT महिला कॉलेज, PK Roy Memorial College, DAV Public Schools और Delhi Public School शामिल हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में धनबाद में सरकारी और निजी दोनों अस्पताल मौजूद हैं। पीएमसीएच (पटेल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल), सेंट्रल हॉस्पिटल, BCCL के अस्पताल प्रमुख हैं। फिर भी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएँ अभी भी सुदृढ़ नहीं हैं।
संस्कृति और भाषा
धनबाद की संस्कृति बहुरंगी है। यहाँ हिंदी, बंगाली, भोजपुरी, उर्दू, खोरठा, नागपुरी और संथाली भाषाएँ बोली जाती हैं। चूंकि यह औद्योगिक नगर है, इसलिए यहाँ देश के विभिन्न हिस्सों से आकर लोग बसे हैं। इसका असर यहाँ की संस्कृति और खान-पान पर साफ दिखता है।
धनबाद में छठ पूजा, दुर्गा पूजा, दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस, सरहुल आदि बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं। झारखंडी संस्कृति के साथ-साथ बंगाली और बिहारी संस्कृति का भी समावेश है।
पर्यटन स्थल
धनबाद जिला प्राकृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से कई पर्यटन स्थलों से भरपूर है:
- झरिया कोलफील्ड – कोयला खदानों की विशालता और भूमिगत आग के लिए प्रसिद्ध।
- मायापुरी सिनेमा और शॉपिंग मॉल्स – आधुनिक शहर के रूप में धनबाद का आकर्षण।
- तिलैया डैम – धनबाद के पास स्थित सुंदर पिकनिक स्थल।
- भूता बांध – प्राकृतिक सुंदरता और शांति का प्रतीक।
- सिंदरी फर्टिलाइजर प्लांट – कभी एशिया का सबसे बड़ा फर्टिलाइजर प्लांट था।
- पारसनाथ हिल्स – जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल, धनबाद के नजदीक गिरिडीह जिले में स्थित।
- शक्ति मंदिर – धार्मिक स्थल, जहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।


परिवहन और संचार
धनबाद परिवहन और संचार व्यवस्था में भी झारखंड का प्रमुख जिला है। यहाँ से हावड़ा, नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, पटना, रांची आदि बड़े शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं। धनबाद रेलवे स्टेशन एक ‘A1’ श्रेणी का स्टेशन है और देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में गिना जाता है।
सड़क मार्ग से भी धनबाद झारखंड और पश्चिम बंगाल के बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (अब NH-19) धनबाद से होकर गुजरता है। स्थानीय परिवहन के लिए ऑटो, बस, टैक्सी और ई-रिक्शा की सुविधा उपलब्ध है।
आधुनिक विकास और चुनौतियाँ
धनबाद का विकास मुख्यतः कोयला उद्योग के कारण हुआ है। यहाँ बड़ी-बड़ी कंपनियाँ कार्यरत हैं, जिससे रोजगार के अवसर भी हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी धनबाद लगातार तरक्की कर रहा है।
लेकिन धनबाद को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- झरिया कोलफील्ड में लगातार भूमिगत आग जल रही है, जिससे पर्यावरण और स्थानीय लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है।
- प्रदूषण की समस्या गंभीर है, खासकर वायु और जल प्रदूषण।
- अवैध खनन और माफिया राज भी जिले की बड़ी समस्या है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचना कमजोर है।
धनबाद जिला, झारखंड (भारत)
धनबाद जिला, झारखंड (भारत)
निष्कर्ष
धनबाद जिला झारखंड का गौरव है। यह न केवल औद्योगिक रूप से समृद्ध है बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी विविधताओं से भरा हुआ है। यहाँ की कोयला खदानें, शिक्षा संस्थान, रेलवे कनेक्टिविटी और ऐतिहासिक महत्व इसे देश के नक्शे में एक विशेष स्थान दिलाते हैं।
यदि सरकार और स्थानीय प्रशासन झरिया की आग, प्रदूषण और अवैध खनन जैसी समस्याओं का समाधान कर सके, तो धनबाद न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के सबसे विकसित जिलों में गिना जाएगा। धनबाद की ऊर्जा, संस्कृति और मेहनतकश जनता इसकी सबसे बड़ी ताकत है, जो इसे आगे बढ़ने में मदद करती है। आने वाले समय में धनबाद का भविष्य और भी उज्ज्वल दिखाई देता है।
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