पश्चिमी सिंहभूम जिला, झारखंड
परिचय:
पश्चिमी सिंहभूम जिला झारखंड राज्य के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में स्थित एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जिला है। यह जिला खनिज संपदा, वन क्षेत्र, सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यह पश्चिमी सिंहभूम ,झारखंड का सबसे बड़ा जिला है और इसका मुख्यालय चाईबासा है। यह जिला वर्ष 1990 में पुराने सिंहभूम जिले के विभाजन के बाद अस्तित्व में आया। पश्चिमी सिंहभूम अपने आदिवासी संस्कृति, पर्व-त्योहार, खनिज संसाधनों और घने जंगलों के कारण देशभर में प्रसिद्ध है।
पश्चिमी सिंहभूम, झारखंड का सबसे पुराना ज़िला है. साल 1837 में कोल्हण पर ब्रिटिश जीत के बाद, इस ज़िले का नाम सिंहभूम पड़ा था. बाद में, सिंहभूम को तीन ज़िलों में बांटा गया – पूर्व सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, और सरायकेला-खरसावां.
चाईबासा , शहर, दक्षिण-पूर्वीझारखंड राज्य, पूर्वोत्तर भारत । यह रारू नदी के ठीक पश्चिम में स्थित है, जो सुवर्णरेखा नदी की एक सहायक नदी है। चाईबासा 1875 में एक नगर पालिका बन गया। शहर को सड़क जंक्शन और कृषि व्यापार केंद्र के रूप में जाना जाता है, और यह खनन (विशेष रूप से क्रोमाइट) उद्योग में भी भारी रूप से लगा हुआ है।
- यह ज़िला नवनिर्मित झारखंड राज्य के दक्षिणी भाग में है.
- इसका मुख्यालय चाईबासा है.
- यह ज़िला पहाड़ियों, घाटियों, और घने जंगलों से घिरा हुआ है.
- इस ज़िले की ज़्यादातर आबादी जनजातीय है.
- यह ज़िला साल 1990 में सिंहभूम ज़िले के बंटवारे के बाद बना था.
- इस ज़िले में साल वृक्ष के घने वन हैं.
- सारंडा (सात सौ पहाड़ी) वन क्षेत्र दुनिया भर में जाना जाता है
पश्चिमी सिंहभूम जिला का भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रफल:
पश्चिमी सिंहभूम जिला झारखंड के दक्षिणी भाग में स्थित है। यह जिला उत्तर में सरायकेला-खरसावां, पूर्व में ओडिशा का सुंदरगढ़ जिला, दक्षिण में ओडिशा का क्योंझर जिला तथा पश्चिम में सिमडेगा और गुमला जिलों से घिरा हुआ है। इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 7,224 वर्ग किलोमीटर है, जो झारखंड राज्य का सबसे बड़ा जिला बनाता है।
जिले का अधिकांश भाग पठारी और पहाड़ी इलाकों में बसा है। यहां की प्रमुख नदियाँ कोयल, कोईना, संजय और बामनी हैं। यह क्षेत्र साल, सागवान, महुआ, तेंदू और अन्य प्रकार के पेड़ों से आच्छादित घने जंगलों से भरा हुआ है।
पश्चिमी सिंहभूम जिला का इतिहास:
पश्चिमी सिंहभूम का इतिहास काफी प्राचीन है। यह इलाका कोल्हान क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है, जिसका अर्थ है ‘कोलों का घर’। यहाँ मुख्य रूप से हो, मुंडा, उरांव और संथाल जैसी आदिवासी जातियाँ निवास करती हैं। ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र सिंहवंश के राजाओं के अधीन रहा, जिनके नाम पर इसे ‘सिंहभूम’ कहा गया। अंग्रेजों के शासनकाल में यह क्षेत्र ब्रिटिश भारत के अधीन आ गया और 1837 में इसे सिंहभूम जिले का दर्जा मिला।
ब्रिटिश काल में इस क्षेत्र में खनिजों की खोज और खनन कार्य शुरू हुआ। विशेष रूप से लौह अयस्क की प्रचुरता ने इस क्षेत्र को औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना दिया। स्वतंत्रता संग्राम में भी पश्चिमी सिंहभूम के वीर आदिवासियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
पश्चिमी सिंहभूम जिला का जनसंख्या और जनजातियाँ:
2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिमी सिंहभूम की कुल जनसंख्या लगभग 15 लाख है। यहाँ की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा आदिवासी समुदाय का है। प्रमुख जनजातियाँ – हो, मुंडा, उरांव, संथाल, भूमिज आदि हैं। इन जनजातियों की अपनी अलग संस्कृति, भाषा और परंपराएँ हैं।
यहां की प्रमुख बोली ‘हो भाषा’ है, जो आस्ट्रेलो-एशियाटिक भाषा परिवार से संबंधित है। इसके अलावा हिंदी, उरांव, मुंडारी, संथाली और ओड़िया भाषाएँ भी बोली जाती हैं।
पश्चिमी सिंहभूम जिला का अर्थव्यवस्था और खनिज संपदा:
पश्चिमी सिंहभूम खनिज संपदा से भरपूर जिला है। यहाँ लौह अयस्क का विशाल भंडार है। नोआमुंडी, किरीबुरु, मेघाताबुरु जैसी खदानें भारत में लौह अयस्क की सबसे बड़ी खदानों में गिनी जाती हैं। टाटा स्टील, सेल जैसी बड़ी कंपनियां यहां खनन कार्य कर रही हैं।
इसके अलावा मैंगनीज, क्रोमाइट, बॉक्साइट, ताम्बा आदि खनिज भी यहां पाए जाते हैं। खनिजों के अलावा कृषि भी यहां की अर्थव्यवस्था का आधार है। धान, मक्का, दालें, तिलहन आदि प्रमुख फसलें हैं। जंगलों से लाख, तेंदू पत्ता, महुआ, चिरौंजी जैसी वन उत्पादों की भी भरपूर पैदावार होती है।
- पश्चिमी सिंहभूम जिला पंचायत में कुल 1687 गांव हैं।
- पश्चिमी सिंहभूम जिले में 18 प्रखंड हैं।
- चाईबासा का पिन नंबर 833201 हैं।
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क्र.स. प्रखण्ड का नाम पिन कोड 1 सदर चाईबासा 833201 2 खूंटपानी 833201 3 झींकपानी 833215 4 टोंटो 833215 - वर्तमान में पश्चिमी सिंहभूम जिले में 19 ब्लॉक और दो प्रशासनिक उप-मंडल शामिल हैं। ब्लॉकों के नाम हैं- मझगांव, कुमारडुंगी, जगन्नाथपुर, हाटगम्हरिया, मंझारी, तांतनगर, चाईबासा, झींकपानी, खूंटपानी, टोंटो, नोआमुंडी, चक्रधरपुर, सोनुआ, गोईलकेरा, मनोहरपुर, आनंदपुर, गुदरी, बेरो और बंदगांव।
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जनसांख्यिकी
नाम विवरण ग्राम पंचायतों की संख्या 217 नगर पालिकाओं की संख्या 2 गांवों की संख्या 1687 अनुमंडलो की संख्या 3
पश्चिमी सिंहभूम जिला का पर्यटन स्थल:
पश्चिमी सिंहभूम प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जिला है, जहाँ कई पर्यटन स्थल हैं –
- सरंडा जंगल: यह एशिया का सबसे बड़ा साल का जंगल है। यह जंगल हाथी, तेंदुआ, भालू, हिरण आदि वन्यजीवों का घर है।
- नोआमुंडी: लौह अयस्क खदानों के लिए प्रसिद्ध यह स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- महुआडांड: पहाड़ियों और जंगलों से घिरा एक खूबसूरत पर्यटन स्थल।
- गुवा: खनन क्षेत्र और हरे-भरे जंगलों से युक्त इलाका।
- जगन्नाथपुर: यहाँ भगवान जगन्नाथ का मंदिर स्थित है, जहाँ हर वर्ष रथयात्रा निकाली जाती है।
पश्चिमी सिंहभूम जिला का संस्कृति और परंपराएँ:
यह जिला अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के प्रमुख पर्व-त्योहार – माघ पर्व, हो, करम, सरहुल, सोहराई, फगुआ, दशहरा आदि हैं। इन त्योहारों में गीत-संगीत, नृत्य और परंपरागत व्यंजन विशेष महत्व रखते हैं।
हो जनजाति का ‘हो नृत्य’ और करम पर्व का आयोजन बहुत ही आकर्षक होता है। महिलाएं पारंपरिक परिधान में करम डालती हैं और लोक गीत गाकर ईश्वर से सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
पश्चिमी सिंहभूम जिला का शिक्षा और स्वास्थ्य:
पश्चिमी सिंहभूम शिक्षा के क्षेत्र में धीरे-धीरे विकास कर रहा है। चाईबासा में कई स्कूल, कॉलेज और व्यावसायिक संस्थान स्थापित हैं। कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा में स्थित है, जो पूरे दक्षिणी झारखंड के लिए उच्च शिक्षा का केंद्र है।
स्वास्थ्य सुविधाएं भी लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन अब भी दूर-दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। जिला अस्पताल चाईबासा और कुछ प्राइवेट अस्पतालों में बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
पश्चिमी सिंहभूम जिला का परिवहन और संचार:
जिले में परिवहन व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। टाटा-चाईबासा-नोआमुंडी मार्ग प्रमुख सड़क मार्ग है। रेलवे लाइन से चाईबासा, किरीबुरु, गुवा आदि क्षेत्र जुड़े हुए हैं। चाईबासा रेलवे स्टेशन दक्षिण-पूर्व रेलवे के अंतर्गत आता है। रांची, जमशेदपुर, चाईबासा, नोआमुंडी के लिए बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
पश्चिमी सिंहभूम जिला का प्रमुख उद्योग:
- खनन उद्योग: टाटा स्टील, सेल, आरएसपी आदि कंपनियां यहां लौह अयस्क और अन्य खनिजों का खनन करती हैं।
- वन आधारित उद्योग: लाख, तेंदू पत्ता, हर्बल उत्पादों के कई छोटे उद्योग हैं।
- कृषि और कुटीर उद्योग: धान प्रसंस्करण, बांस-लकड़ी आधारित उत्पाद, हथकरघा और हस्तशिल्प का अच्छा कारोबार है।
चुनौतियाँ और संभावनाएं:
पश्चिमी सिंहभूम एक खनिज संपदा से भरपूर जिला होने के बावजूद आज भी कई समस्याओं से जूझ रहा है। गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य की कमी, नक्सलवाद जैसी समस्याएं इस जिले में हैं। कई इलाके नक्सल प्रभावित हैं, जिससे विकास कार्यों में बाधा आती है।
लेकिन, अगर प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह जिला झारखंड ही नहीं, पूरे देश का समृद्ध जिला बन सकता है। पर्यटन, खनिज, वन उत्पाद, कृषि और संस्कृति के विकास से जिले में रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं।
निष्कर्ष:
पश्चिमी सिंहभूम जिला झारखंड का एक महत्वपूर्ण जिला है, जहाँ प्रकृति, खनिज, संस्कृति और इतिहास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। घने जंगल, सुंदर पहाड़ियाँ, बहती नदियाँ और समृद्ध आदिवासी संस्कृति इसे खास बनाती है। यदि इस जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया जाए, तो यह आने वाले समय में झारखंड का सबसे विकसित और खुशहाल जिला बन सकता है।
PART-2
पश्चिमी सिंहभूम, झारखंड राज्य का एक जिला है, जिसका मुख्यालय चाईबासा है, और यह 16 जनवरी 1990 को अस्तित्व में आया था.
- स्थापना: 16 जनवरी 1990 को, पुराने सिंहभूम जिले के विभाजन के बाद.
- मुख्यालय: चाईबासा.
- प्रशासनिक संरचना: 3 अनुमंडलों में विभाजित.
- जनसांख्यिकी: 217 ग्राम पंचायतों, 2 नगर पालिकाओं, 1687 गांवों के साथ.
- इतिहास: 1837 में कोल्हान पर ब्रिटिश विजय के बाद, सिंहभूम जिले की स्थापना हुई, जिसका मुख्यालय चाईबासा था.
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सड़क मार्ग:एनएच-20 या जमशेदपुर-हाता रोड (एनएच-6) के रास्ते.
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रेल मार्ग:रांची से चाईबासा के लिए सीधी ट्रेन नहीं है, पहले टाटानगर रेलवे स्टेशन जाना होगा, फिर वहां से चाईबासा के लिए ट्रेन उपलब्ध है.
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हवाई मार्ग:
चाईबासा के लिए सीधी उड़ान नहीं है, निकटतम हवाई अड्डा जमशेदपुर (सोनारी हवाई अड्डा) है.
विभाजन: बाद में सिंहभूम को पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावाँ में विभाजित किया गया.
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सिमडेगा जिला, झारखंड: इतिहास, संस्कृति और विकास की कहानी 2025
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